देवी यमुना कैसे बनीं भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी? बेहद दिलचस्प है ये कहानी
यमुना नदी भारत की पांचवीं सबसे लंबी नदी है जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी के यमुनोत्री से निकलती है. इस पवित्र नदी को यमी और कालिंदी जैसे नामों से भी जाना जाता है. वो सूर्यदेव की पुत्री हैं और मृत्यु के देवता यमराज और न्यायधीश शनिदेव की बहन भी हैं. पौराणिक कहानियों में यमुना को एक देवी माना गया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यमुना कैसे श्रीकृष्ण की पत्नी बनीं?
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार देवी यमुना भगवान विष्णु से अगाध प्रेम करती थीं. उन्होंने कई जन्मों तक भगवान विष्णु को पाने के लिए कठोर तपस्या की. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि द्वापर युग में कृष्ण अवतार में वे उन्हें प्राप्त कर लेंगी. जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ तो उनके पिता वासुदेव उन्हें यमुना नदी पार करके गोकुल ले जा रहे थे. उस समय यमुना नदी उफान पर थीं लेकिन जैसे ही कृष्ण के चरण टोकरी से बाहर निकले यमुना ने उन्हें स्पर्श कर लिया. कृष्ण के चरण स्पर्श करते ही यमुना का वेग शांत हो गया.
एक अन्य कथा के अनुसार एक बार कृष्ण और अर्जुन वन में घूम रहे थे. कृष्ण को प्यास लगी तो वे पानी की तलाश में आगे बढ़े. उन्हें एक सुंदर स्त्री भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए दिखाई दीं. कृष्ण ने उनसे परिचय पूछा तो उन्होंने बताया कि वे विष्णु जी को प्राप्त करना चाहती हैं. देवी यमुना ने कहा कि अब द्वापर युग आ गया है और उन्हें अब भी विष्णु जी वर के रूप में नहीं मिले तो वे सदा यहीं तपस्या करती रहेंगी.
यह सुनकर कृष्ण ने यमुना को अपना परिचय दिया और उनसे विवाह कर लिया. विवाह के बाद कृष्ण ने देवी यमुना को पूजनीय होने का वरदान दिया. उन्होंने कहा, “हे यमुने! तुम्हारी तपस्या संपूर्ण मानवजाति के लिए एक प्रेरणा है. मेरे भक्त निश्चित रूप से तुम्हारी कृपा भी पाएंगे.” कृष्ण से विवाह करने के बाद देवी यमुना फिर से अपनी धारा में समा गईं.
इस तरह देवी यमुना की अटूट भक्ति और तपस्या के कारण उन्हें श्रीकृष्ण की पत्नी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. उनकी कहानी हमें यह प्रेरणा देती है कि सच्ची भक्ति और लगन से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है.