रायपुर: छत्तीसगढ़ के 33 में से 31 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव संपन्न हो चुके हैं. जहां 13 अनारक्षित सीटों पर ओबीसी वर्ग को सबसे ज्यादा मौका मिला है. जबकि इससे पहले कांग्रेस और पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने जिला पंचायत आरक्षण प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा था कि ओबीसी अध्यक्ष बनने के लिए तरस रहे हैं. अब डिप्टी सीएम अरुण साव ने भूपेश बघेल से माफी मांगने को कहा है. जबकि भूपेश बघेल कह रहे हैं कि डिप्टी सीएम अरुण साव को माफी मांगनी चाहिए.

छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर भी बीजेपी ने कब्जा कर लिया है. छत्तीसगढ़ के 33 में से 31 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव हो चुके हैं. 33 में से 20 जिला पंचायत अनुसूचित जनजाति और जाति के लिए आरक्षित हैं. वहीं, बाकी 13 अनारक्षित जिला पंचायतों में से 12 पर चुनाव हुए हैं, जिसमें बीजेपी ने 9 जिला पंचायतों में ओबीसी वर्ग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाए हैं. जबकि रायपुर में अनारक्षित और सुकमा में आरक्षित में चुनाव होना बाकी है।

जिला पंचायतों पर ओबीसी दबाव: इससे पहले जब भाजपा सरकार ने जिला पंचायत में आरक्षण की सूची जारी की थी, तब पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा था कि छत्तीसगढ़ में करीब 50% आबादी ओबीसी वर्ग से है, जहां उन्हें आरक्षण न देना भाजपा की सोच हो सकती है। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा था कि अब छत्तीसगढ़ में पिछड़ा वर्ग के लोग जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए तरसेंगे। पिछड़ा वर्ग को पूरे प्रदेश में सिर्फ एक जिले में, अधिकतम दो में आरक्षण मिलेगा। आज इस पर डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि भूपेश बघेल को ओबीसी वर्ग से माफी मांगनी चाहिए। भाजपा सरकार में 9 जिला पंचायत अध्यक्ष ओबीसी वर्ग से हैं। कांग्रेस सरकार में ओबीसी के साथ अन्याय हुआ। भूपेश को ओबीसी हितों की बात करना शोभा नहीं देता। भूपेश बघेल और कांग्रेस ने ओबीसी में भ्रम और भड़काने का काम किया।

इस पर पलटवार करते हुए पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि डिप्टी सीएम अरुण साव गलत बात कह रहे हैं। मैंने कहा था कि एक भी जिला पंचायत ओबीसी के लिए आरक्षित नहीं है। यह नहीं कहा था कि हम एक भी सीट नहीं जीतेंगे। ओबीसी की इतनी बड़ी आबादी है, वे जीतेंगे ही, लेकिन क्या सरकार ने उन्हें आरक्षण दिया?

यह सही है कि जिला पंचायत आरक्षण में ओबीसी को अलग से आरक्षण नहीं दिया गया। लेकिन भाजपा सरकार ने 9 जिला पंचायतों में अध्यक्ष/उपाध्यक्ष का पद ओबीसी को देकर इस वर्ग को खुश किया है। जबकि आरक्षण के समय कांग्रेस ने भाजपा सरकार को ओबीसी विरोधी बताया था। ऐसे में अब सवाल यह है कि क्या कांग्रेस के पास ओबीसी के मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरने की कोई नई रणनीति है या नहीं?